आखिर क्यों मनाया जाता है हरतालिका तीज का पर्व?

हर साल मनाया जाने वाला हरतालिका तीज का पर्व इस साल 9 सितंबर को मनाया जाने वाला है। यह व्रत अखण्ड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए सुहागिन महिलाएं रखती हैं। वहीँ इस व्रत को कुवांरी लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए रखती हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे कि आखिर क्या है हरतालिका तीज व्रत की कथा।

हरतालिका तीज व्रत की कथा- पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार देवी सती ने पुनः शरीर धारण करके माता पार्वती के रूप में हिमालय राज के परिवार में जन्म लिया। अपनी पुत्री को विवाह योग्य होता देख हिमालय राज ने माता पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करने का निश्चय कर लिया था। लेकिन माता पार्वती पूर्व जन्म के प्रभाव के कारण मन ही मन भगवान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थीं। हालांकि भगवान शिव, माता सती की मृत्यु के बाद से तपस्या में लीन थे और एक बार फिर वैरागी हो चुके थे।

माता पार्वती की मनोदशा और उनके पिता के निश्चय से उत्पन्न हुए असमंजस को दूर करने के लिए पार्वती जी की सखियों ने उनका हरण कर लिया। उन्हें हिमालय की कंदराओं में छिपा दिया। माता पार्वती ने हिमालय की गुफा में भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया। उनकी कठोर तपस्या ने अंततः भगवान शिव को अपना वैराग्य तोड़ने पर विवश कर दिया और माता पार्वती को अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लिया। तालिका अर्थात सखियों द्वार हरण किए जाने के कारण ये दिन हरतालिका ने नाम से जाना जाने लगा। कुवांरी लड़कियां मनचाहा वर और सुहागिन महिलाएं अखण्ड़ सौभाग्य पाने के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं।

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